विदुषी योग संस्थान के सदस्य संगठन के पंजीकृत स्वरुप में आने से कई वर्ष पूर्व से योग के वैज्ञानिक स्वरुप को जन जन तक पहुंचाने के संकल्प के साथ कार्य कर रहे थे। उनके प्रयासों को संगठनात्मक स्वरूप प्रदान करने के लिए संस्थापक इंजी राम सुरेश मिश्र ने विदुषी फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की। यह एक गैर लाभ सृजक एवं सरकार द्वारा पंजीकृत संगठन ( Non Profit & Government Registered Organization)है। विदुषी योग संस्थान की स्थापना "घर घर पहुंचे योग लोग बने निरोग" के लक्ष्य को लेकर की गई है। विदुषी योग संस्थान, आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त कुशल योगा वैलनेस इंस्ट्रक्टर के निर्देशन में संचालित की जा रही है। समाज का हर तबका योग के माध्यम से लाभान्वित हो यही संस्थान का मुख्य लक्ष्य है। अभी संपूर्ण विश्व कोरोनावायरस जैसी त्रासदी से गुजरा है जिसमें योग /आयुर्वेद के महत्वपूर्ण योगदान से हर व्यक्ति परिचित और लाभान्वित हुआ। योग को सही ढंग से जन मानस तक पहुंचाया जा सके, यही संस्था का प्रमुख लक्ष्य है।
108 उपनिषदों में से 10 उपनिषद में योग की चर्चा की गई है। यहां तक कि भगवत गीता में भी कृष्ण अर्जुन समाज में भी योग शब्द का वर्णन है। योग की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द युज (YUJ) से हुई है। जिसका अर्थ है जुड़ना /कनेक्ट होना/ एकजुट होना। जहां पर भी दो चीजों के बीच में संबंध दिखाई देता है वह सब योग ही है। योग एक कला है जो हमारे शरीर मन और आत्मा तीनों को एक साथ जोड़ता है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाता है। योग एक अभ्यास है जो मानसिक शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास के 8 स्तरों पर काम करता है जब तक हम शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं तब तक हमारा मन स्पष्ट और केंद्रित रहता है। योग 5000 वर्ष पुराना भारतीय दर्शनशास्त्र है। इसका सबसे पहले लिखित प्रमाण तंत्र ट्रेडीशन के समय के हैं। आज के समय में लिखित रूप से योग का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है यह माना जाता है कि शिव पहले योगी / आदियोगी और पहले गुरु हैं। हजारों साल पहले हिमालय के कांति सरोवर झील के तट पर आदियोगी ने ही अपने ज्ञान को महान सप्तर्षियों को साझा किया था इन्हीं ऋषियों ने इस योग विज्ञान को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैलाया जिसमें एशिया उत्तरी अफ्रीका मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका इत्यादि शामिल हैं। एक दूसरी मान्यता यह भी है की योग के विषय में चर्चा भगवान शिव जी ने माता पार्वती से पहली बार की थी।सिंधुघाटी सभ्यता के जीवाश्म अवशेष में प्राचीन भारत में योग की मौजूदगी के प्रमाण हैं ।इस उपस्थित का लोक परंपराओं में भी उल्लेख है। सूर्य को वैदिक काल में सर्वोच्च महत्व दिया जाता था और इसी के कारण सूर्य नमस्कार का बाद में अविष्कार भी किया गया । यह आसन, प्राणायाम, मंत्रों और ध्यान का बहुत ही सुंदर योग है। इसके अंतर्गत अलग-अलग चरणों में अलग-अलग चक्र पर ध्यान केंद्रित करके उससे संबंधित मंत्रों का उच्चारण विभिन्न आसनों में जाकर किया जाता है। महर्षि पतंजलि को आधुनिक युग के योग का पिता के रूप में जाना जाता है उन्होंने पहली बार योग को विस्तार से लिखा और 195 योगसूत्र दिए। महर्षि पतंजलि जी ने ही बताया की योग एक अनुशासन है । अथ योगानुशासनम उनका ही एक प्रमुख सूत्र है|
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः योग के कुछ प्रमुख लक्ष्य
❇️शारीरिक स्वास्थ्य
❇️मानसिक स्वास्थ्य
❇️आध्यात्मिक स्वास्थ्य
❇️स्वयं का परिचय
❇️ सामाजिक स्वास्थ्य
चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है| अक्सर लोग योग को आसन /प्राणायाम तक ही सीमित समझते हैं लेकिन लोगों को शरीर मन और सांस को एकजुट करने में योग के लाभों का एहसास नहीं है | किसी भी आयु वर्ग, किसी भी शारीरिक आकार के व्यक्ति द्वारा योग का चयन और इसका अभ्यास किया जा सकता है| यह किसी के लिए भी शुरू करना संभव है । शारीरिक आकार और फिटनेस स्तर से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि योग में विभिन्न लोगों के अनुसार प्रत्येक आसन के लिए संशोधन भी मौजूद है।
यहां तक कि विभिन्न तरह की बीमारियों के लिए विशेष रुप से आसन, प्राणायाम ,बंध मुद्राएं बताए गए हैं।
योग सत्र में प्रमुख रूप से व्यायाम/ ध्यान/ योगासन शामिल होते हैं जो विभिन्न मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। योगासन तनाव को कम करने में मदद करता है।। तनाव का होना इन दिनों आम बात है जिससे शरीर और मन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है इसी तनाव के कारण लोगों को सोते समय दर्द, /गर्दन का दर्द, कब्जियत /अपाचन, एसिडिटी ,पीठ का दर्द ,सिर दर्द, तेजी से दिल का धड़कना, हथेलियों में पसीना, आना ,असंतोष क्रोध अनिद्रा ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता जैसी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं योग आंतरिक शांति को प्राप्त करने में और तनाव तथा अन्य समस्याओं के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है। योग एक व्यक्ति में मानसिक शांति के स्तर को बढ़ाता है इससे ना सिर्फ व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है बल्कि व्यक्ति को अकारण प्रसन्न रहने में मदद करता है।
हम सभी जानते हैं एक स्वस्थ व्यक्ति अस्वस्थ व्यक्ति की तुलना में अधिक काम कर सकता है। वर्तमान समय में प्रदूषण भी एक प्रमुख समस्या है जो कि कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है सिर्फ 15-20 मिनट का योगाभ्यास आपके स्वास्थ्य को अच्छा रखने में मदद कर सकता है। क्योंकि हम सभी जानते हैं बेहतर स्वास्थ्य का मतलब बेहतर जीवन है
योग के अंतर्गत शरीर से विषाक्त द्रव्यों को निकालने के लिए शरीर शोधन क्रियाओं में का वर्णन है। यह सभी क्रियाएं शरीर के विभिन्न अंगों को साफ करने की विशेष तकनीकी है जिसका अभ्यास करने से व्यक्ति की सर से लेकर पेट तक की सभी समस्याओं का निदान हो जाता है। योग में तो यहां तक वर्णन है कि इसके माध्यम से तीन दोष का त्रिदोष (वात पित्त कफ) जो आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों की जनक हैं का सामान भी हो जाता है। इन क्रियाओं को योग में षट् कर्म कहते हैं। इनमें से विशेषकर के जल नेती वर्तमान समय में बहुत ही उपयोगी है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन जलनेति का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। जिससे वायु प्रदूषण /वायरल इंफेक्शन/माइग्रेन इत्यादि से बचने में मदद मिलेगी। योग सिर्फ आसन व्यायाम ही नहीं है यह एक जीवन पद्धति है जो आपके सुबह जगने से लेकर रात सोने तक आपके जीवन को बदलने में मदद कर सकती है।।।।।।
विद्यार्थियों के लिए विशेषकर योगासन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। जोकि उनके शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से करने में मदद करते हैं इस रक्त संचार से ही संपूर्ण शरीर में प्राणवायु पहुंचती है जिससे कि सभी आंतरिक अंग क्रियाशील होते हैं। ध्यान के माध्यम से विद्यार्थी अपना मन एकाग्र कर सकते हैं। योग के अंतर्गत विभिन्न तरह की मुद्राएं भी आती हैं। जिनको बनाकर विद्यार्थी अपनी स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं। योगासन करने से शरीर लचीला भी बना रहता है और आलस्य नहीं आता। जो विद्यार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। अगर कोई भी विद्यार्थी प्रतिदिन सूर्यनमस्कार मात्र का ही ठीक ढंग से अभ्यास करें तो यह उसके जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तनों को लाने वाला होगा। आजकल होने वाली प्रमुख समस्याएं गर्दन का दर्द /आंखों की रोशनी में कमी आना/अवसाद /डिप्रेशन इत्यादि को दूर करने में योगासन और योग क्रियाएं बहुत ही लाभदायक हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 26 सितंबर 2014 को ६९ यूनाइटेड नेशंस की महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था इस प्रस्ताव का 193 देशों में से 177 देशों ने समर्थन किया और 11 दिसंबर 2014 को यह फैसला लिया गया कि कि जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। योग शिक्षण को कैरियर के विकल्प के तौर पर बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा योग पेशेवरों का सर्टिफिकेशन और योग आसनों की शुरुआत 22 जून 2015 की योग सर्टिफिकेट की स्थापना 2018 में हुई इसका कार्य जून 2018 से शुरू हुआ योग पेशेवरों की प्रमाणीकरण हेतु 8 श्रेणियां बनाई गई हैं योग सेवक, योग प्रोटोकॉल इंस्ट्रक्टर, योग वैलनेस इंस्ट्रक्टर ,योग टीचर एंड इवेलुएटर, योग मास्टर ,असिस्टेंट योग थेरेपिस्ट, योग थेरेपिस्ट ,थैरेपिस्ट योग कंसलटेंट। वर्तमान समय में विद्यालयों विश्वविद्यालयों अस्पतालों पर्यटन स्थलों इत्यादि जगहों पर योग टीचर की डिमांड है। विद्यार्थी इस क्षेत्र में भी अपना करियर बना सकते हैं।
विद्यार्थियों की कुछ सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं एवं उनके लिए उपयुक्त योगिक समाधान
सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस- सर्पासन/ग्रीवा शक्ति विकासक
साइनस, एलर्जी, अस्थमा, आंखों की रोशनी- जल नेती क्रिया
पाचन शक्ति -वज्रासन
संपूर्ण शरीर के लिए- सूर्य नमस्कार/सर्वांग पुष्टि
लंबाई बढ़ाने के लिए-ताड़ासन
इत्यादि।
नोट- इन सभी का अभ्यास कुशल मार्गदर्शन में ही करें।
विदुषी योग संस्थान योग के इन आधारभूत सिद्धांतो का पालन करते हुए व्यक्ति एवं समाज दोनों को निरंतर बेहतर बनाने की दिशा में वर्षों से काम कर रहा है | वर्तमान में इसके महत्व को देखते हुए विदुषी फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से विभिन्न ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जा रहा है |